What Is Crypto ?

 


क्रिप्टोक्यूरेंसी - अर्थ और परिभाषा

क्रिप्टोक्यूरेंसी, जिसे कभी-कभी क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो कहा जाता है, मुद्रा का कोई भी रूप है जो डिजिटल या वस्तुतः मौजूद है और लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है। लेन-देन रिकॉर्ड करने और नई इकाइयां जारी करने के लिए विकेन्द्रीकृत प्रणाली का उपयोग करने के बजाय, क्रिप्टोकरेंसी के पास केंद्रीय जारी करने या विनियमित करने वाला प्राधिकरण नहीं है। 

क्रिप्टोकरेंसी क्या है और कैसे काम करती है।

हर देश की अपनी एक करेंसी होती हैं, और उस करेंसी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था चलती है. किन्तु आजकल दुनिया में कुछ ऐसी करेंसी भी आ गई है, जोकि डिजिटल फॉर्म में होती हैं और हमें दिखाई नहीं देती है. ऐसी एक करेंसी जिसका नाम क्रिप्टोकरेंसी है, की बात आज हम इस लेख में करने जा रहे हैं. इस लेख में हम आपको क्रिप्टोकरेंसी क्या है, कैसे काम करती हैं, और कौन – कौन सी क्रिप्टोकरेंसी हैं, एवं इनकी विशेषतायें आदि इसी तरह की सभी जानकारी देने जा रहे हैं। 


क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार

क्रिप्टोकरेंसी के कई प्रकार हैं यहां हम कुछ प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी के नाम एवं उसके बारे में कुछ चर्चा कर रहे हैं –

  • बिटकॉइन (बीटीसी) :- क्रिप्टोकरेंसी में जो सबसे पहली और सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं वह हैं बिटकॉइन. जी हां बिटकॉइन दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी है. जिसका निर्माण साल 2009 में सतोशी नाकामोटो ने किया था.
  • इथेरेयम (ईटीएच) :- यह क्रिप्टोकरेंसी का दूसरा प्रकार हैं, यह भी ब्लॉकचैन पर आधारित एक ओपन सोर्स डीसेंट्रलाइज्ड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म हैं. इस क्रिप्टोकरेंसी के संस्थापक विटालिक ब्यूटेरिन है. इसमें एक डिजिटल टोकन का उपयोग किया जाता हैं, जोकि ईथर कहलाता है. इस क्रिप्टोकरेंसी के 2 वर्जन है पहला इथेरेयम (ईटीएच) एवं दूसरा इथेरेयम क्लासिक (ईटीसी). यह भी काफी प्रसिद्ध हुई है.
  • लाइटकॉइन (एलटीसी) :- लाइटकॉइन भी बिटकॉइन की तरह ही हैं, जोकि डीसेंट्रलाइज्ड भी हैं और साथ ही पीर टू पीर टेक्नोलॉजी के तहत कार्य करती हैं. इसकी शुरुआत सन 2011 के अक्टूबर महीने में की गई थी. इस क्रिप्टोकरेंसी को चार्ल्स ली द्वारा शुरू किया गया था, जोकि उस दौरान एक गूगल कंपनी के एम्प्लोई थे. इसमें जब माइनिंग की प्रक्रिया होती हैं, तो उसमें स्क्रीप्ट एल्गोरिथम उपयोग होता है.
  • डोज़कॉइन (डोज) :- इसकी शुरुआत इस तरह से की गई, कि जब बिटकॉइन प्रचलन में था, तो उस दौरान डोजकॉइन ने इसकी तुलना एक कुत्ते से कर दी थी. किन्तु बाद में यह खुद एक क्रिप्टोकरेंसी बन गई. इसके संस्थापक बिली मर्कस जी थे. आज के समय में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत लगभग 197 मिलियन डॉलर से भी अधिक हैं. साथ ही इसमें माइनिंग भी जल्दी हो जाती है.
  • फेयरकॉइन (एफएआईआर) :- ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का उपयोग एफएआईआर नामक क्रिप्टोकरेंसी में भी किया जाता हैं, जोकि अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही हैं. लेकिन इसकी डिजाइन सामाजिक रूप से रचनात्मक है. इसमें कॉइन को सत्यापित करने के लिए प्रूफ -ऑफ़ कोऑपरेशन का उपयोग किया जाता है.
  • डैश (डीएएसएच) :- यह दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया हैं वह है डिजिटल एवं कैश. यह क्रिप्टोकरेंसी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की तुलना में ज्यादा अच्छी विशेषताओं के साथ शुरू की गई है. इसमें सुरक्षा को अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में ज्यादा महत्व दिया जाता है. इसमें इस तरह की टेक्नोलॉजी एवं एल्गोरिथम का उपयोग किया जाता है जिससे इसमें जुड़ने वाले लोग स्वयं की माइनिंग कर सकते हैं.
  • पीयरकॉइन (पीपीसी) :- पीयरकॉइन नामक क्रिप्टोकरेंसी अपने नाम के अनुसार पीयर – टू – पीयर क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही हैं. इसमें जिस अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता हैं वह हैं एसएचए-256, और इसमें लेनदेन करने के लिए या फिर माइनिंग प्रक्रिया के लिए ज्यादा पॉवर की आवश्यकता नहीं होती है.
  • रिप्पल (एक्सआरपी) :- इस क्रिप्टोकरेंसी को सन 2012 में लाया गया था, जोकि डिस्ट्रिब्यूटेड ओपन सोर्स प्रोटोकॉल पर आधारित है. इसकी आज की कीमत लगभग 10 मिलियन डॉलर तक की हैं.
  • मोनेरो (एक्सएमआर) :- यह क्रिप्टोकरेंसी का अंतिम प्रकार हैं जोकि सन 2014 में शुरू किया गया था. यह सभी तरह की प्रणाली पर कार्य करती हैं. और साथ ही बिटकॉइन की तरह ही हैं. इस क्रिप्टोकरेंसी में कंस्यूमर – लेवल सीपीयू’स का प्रयोग किया जाता हैं.

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